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Singh, Bharat Raj / Singh, Satish Kumar / Singh, Mukesh Kumar

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योग दर्शन मुख्यतः दो अस्तित्वो के समन्वय का शाब्दिक अर्थ है और योग शब्द के भी दो अर्थ हैं पहला संयुक्त और दूसरा समाधि। इसकी उद्भूति ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में महर्षि पतंजलि के योगसूत्र से हुयी एवं उत्पत्ति संस्कृत के मूल शब्द युज (YUJA) से हुयी है। युज का अर्थ है - एक दूसरे को मिलाना या एकजुट करना । महर्षि पतं]जलि के योग को राजयोग या अष्टांग योग कहा जाता है। उक्त आठ अंगों (1)यम (2)नियम (3)आसन (4)प्राणायाम (5)प्रत्याहार (6)धारणा (7)ध्यान (8) समाधि में ही सभी तरह के योग का समावेश हो जाता है । मानव भौतिक अनुप्रयोग और यौगिक ध्यान के तकनीकों का उपयोग करके मुक्ति प्राप्त कर सकता है, और इस प्रकार मनुष्य प्रकृति से अलग हो जाता है । परन्तु जब तक आप अपने को खुद से नहीं जोड़ेंगे, समाधि तक पहुंचना मुश्किल होगा। प्राचीन योग, हमें ज्ञान को जानना और प्रयोग करना, सरल अपितु गहन योग सिद्धांतों (यम और नियम) के बारे में बताता है, जो हमारे लिए एक खुशहाल एवं स्वस्थ जीवन का सार बन सकता है। 'संतोष' सिद्धांत (नियम) जीवन में तृप्त रहने के तथा 'अपरिग्रह' सिद्धांत लालच एवं आसक्ति भावना से होने वाली चिंता, व्याकुलता एवं तनाव से मुक्त करने में मदद करता है। 'शौच' सिद्धांत मानसिक एवं शारीरिक शुद्धि के बारे में बताता है। यह नियम विशेष रूप से आपकी तब सहायता करता है जब आपको संक्रामक रोगों से पीड़ित हो जाने के डर से व्याकुलता हो ।

CHF 23.50

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ISBN 9781312519435
Sprache hin
Cover Kartonierter Einband (Kt)
Verlag Lulu Pr
Jahr 20230528

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