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Girija pawan Sangrah

Sudhanshu Dubey
Girija pawan Sangrah
प्रिय पाठक बंधुओं यह मेरी अंतरयात्रा का प्रथम प्रयास है। अपनी अंतरयात्रा के श्रम का परिहार करने का प्रयास मैंने किया है। मैंने अपने चित्तवृत्ति के भावोच्छवासों को अभिव्यक्त करने का प्रयास किया है। मैंने अपनी बुद्धि और विवेक से अपनी प्रवृत्ति के अनुसार कुछ सृजन का प्रयास किया है। मैंने मस्तिष्क पथ से चलते हुए अपनी अंतरयात्रा को हृदयंगम करने का प्रयास किया है। इस सृजन में त्रुटियाॅ भी हो सकती है। त्रुटियों को दर्शाने हेतु आप का स्वागत है।

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