Kab Hogi Bhet
Mathura Kalauny सींग कटा कर नाटक मंडली के बछड़ों में शामिल हुए थे परमानंद काका, पर ऐन मौके पर बीमार पड़ गये और आवाज तक बैठ गयी। ऐसे में रुकुमा का प्रवेश होता है। रुकुमा का कहॉं तो एकदम व्]यवस्थित धरेलू जीवन था। शादी पहले से ही तय थी। और यहाँ नाटक मंडली में स्]टेज में लड़की का भेष धारे गजेन्]द्र से टकराती है। प्]यार में ऐसे डूबती है कि सब संयम दरकिनार हो जाते हैं। धनसिंह को लगता था कि गजेन्द्र और रुकुमा का प्यार कुमाऊँ की प्रेमकथा का एकदम आधुनिक और आकर्षक संस्करण है। कैसा था ...